Jupiter Par Chalte Hain

और अब

जब सब कुछ ही
विराना सा है-
वीरानी गलियाँ,
वीरान से रस्ते,
घर वीरान,
मन वीरान-
तब
सिर्फ जाना बाकी है
जुपिटर पर।

वहाँ जहाँ 
मैं रहता हूँ,
रहता था,
और रहना है-
बदमिजाज़ धरती 
नहीं समेट सकती
मेरी भावनाओं 
के समंदर को

-बोल देती है 
पागल 
जब भी बोलता हूँ
कोई इंतज़ार में है 
जुपिटर पर।

जब कोई
नहीं समझता 
बातों को,
तब कहता हूँ तुमसे,
"साथ चलते हैं ना
जुपिटर पर"
-तुम भी मुस्कुराते हुए
टाल देते हो 
इस सफ़र को। 

वहाँ बैठा 
साबू इंतज़ार 
कर रहा होगा-
इंतज़ार में होंगे
और भी दोस्त
जिनसे मिलवाना 
है तुम्हे।

एक दिन
जब अकेला 
चला जाऊंगा जुपिटर,
तब तुम खोजोगे 
मुझे-
जानता हूँ। 

दुनिया का क्या है
वो तो कह देगी-
"कल रात
मर गया कोई"
मत मानना इस 
झूठ को-
मैं जुपिटर पर 
दोस्तों के 
साथ इंतज़ार 
करूँगा तुम्हारा...

जाना जल्दी।



Comments

  1. This comment has been removed by a blog administrator.

    ReplyDelete

Post a Comment